उम्रदराज़ होने के साथ यादाश्त, निर्णय लेने की
क्षमता, स्तिथि/समय के ज्ञान और बौद्धिक क्षमता में आई गिरावट को dementia कहते
हैं। रोग के प्रारंभिक दौर में चेतना (conciousness) में कोई फर्क देखने को नहीं
मिलता है। बौद्धिक क्षमता जैसे बुद्धिमत्ता (intelligence), सीखने और याद रखने की
क्षमता, भाषा, समस्या समाधान, अनुभूति (perception), ध्यान व एकाग्रता और निर्णय
लेने की क्षमता पर इस रोग का असर पड़ता है। यह रोग स्थिर, प्रगतिशील, स्थायी या
प्रतिवर्ती (reversible) हो सकता है। लगभग 15 प्रतिशत dementia अपने कारक के आधार
पर प्रतिवर्ती होते हैं, लेकिन प्रारंभ में इलाज मिलने पर ही इन्हें प्रतिवर्तित
किया जा सकता है, अन्यथा यह स्थायी हो सकता है।
Dementia बुजुर्गों में होने वाला रोग है जो
65 वर्ष की आयु से ऊपर के व्यक्तियों में 1.5% तक पाया जाता है और 85 वर्ष की आयु
के बाद 16 से 25 वर्ष तक पाया जाता है। Dementia से ग्रसित सभी रोगियों में
Alzhiemer dementia 50 से 60 प्रतिशत तक पाया जाता है।
Alzhiemer
के बाद दूसरे प्रमुख प्रकार में vascular dementia पाया जाता है जो अधिकतर उच्च
रक्तचाप के प्रत्युत्तर में होता है सभी प्रकार के dementia में इसकी व्यापकता 15
से 30 प्रतिशत होती है। अधिकतर vascular dementia पुरुषों में और Alzhiemer
dementia महिलाओं में पाया जाता है अन्य प्रकारों में सर की चोट सम्बन्धी, शराब की
लत सम्बन्धी, न्यूरोलॉजी विकार सम्बन्धी, इत्यादि dementia आते हैं।
याददाश्त में कमी dementia का प्रमुख लक्षण
होता है। प्रारंभ में हाल के वाक्ये (events) में याददाश्त में कमी देखी जाती है
जैसे खाना खा कर भूल जाना, रास्ता भूल जाना, दिन व समय भूल जाना, नाम भूल जाना,
समान भूल जाना, इत्यादि। जैसे-जैसे रोग बढ़ता जाता है याददाश्त और भी कम होती जाती
है यहाँ तक कि रोगी कपड़े पहनना, वाहन चलाना भूल जाता है और आसपास हो रही सामान्य
घटनाओं को भी समझ नहीं पाता है, उसके समय व जगह का ज्ञान क्षीण पड़ता जाता है। वह
बाथरूम से अपने कमरे का रास्ता भूल सकता है। इसी तरह से वस्तुओं के नाम व प्रयोग
को भूल सकता है। अपनी बात कहने के लिए शब्दों के चयन में दिक्कत हो सकती है।
शुरुआती दौर में रोग का ज्ञान रहने पर रोगी भुलक्कड़पन को छिपाने के लिए खुद को
समाज से दूर कर लेता है और अत्यधिक सुव्यवस्थित (orderliness) को अपनाने की कोशिश
करता है।
इन कारणों से रोगी के व्यक्तित्व में आये
बदलाव परिवार के लिए परेशानी का कारण बनते हैं। रोगी कुंठित व अमिलनसार हो जाता है
उसमे भ्रमित सोच उत्पन्न हो जाती है जिससे वह घरवालों पर अनावश्यक शक करता है और
शत्रुतापूर्ण व्यवहार करता है। उसका व्यक्तित्व चिडचिडा व ‘फट पड़ने’ वाला हो जाता
है। 20-30 प्रतिशत रोगियों को काल्पनिक आवाजें सुनाई देने लगती हैं। बिना कारण के
वे जोर से रोने या हंसने का भाव व्यक्त कर सकते हैं और 40-50 प्रतिशत रोगियों में
अवसाद व घबराहट सम्बन्धी लक्षण पाए जाते हैं। ज्ञात हो कि सामान्य तौर पर उम्र
बढ़ने पर याददाश्त में कुछ कमी आती है लेकिन यह बहुत कम स्तर पर होती है और जीवन के
विभिन्न आयामों पर असर नहीं डालती है।
सामान्यतः यह रोग पचास व साठ के दशक में
प्रारंभ होता है जो धीरे-धीरे बढ़ता जाता है कुछ रोगियों में यह तेज़ गति से बढ़ता है
इस रोग के शुरू होने के पश्चात् औसतन ज़िन्दगी 1 से 20 वर्ष तक हो सकती है
अन्य रोग के प्रत्युत्तर में हुआ यह रोग (secondary
dementia) इलाज से ठीक किया जा
सकता है जैसे शुगर, उच्च रक्तचाप, थाइरोइड, इत्यादि। यदि इन रोगों का पहले से पाता
हो तो dementia को आरम्भ होने से रोका जा सकता है। व्यवहारिक इलाज के साथ दवाइयों
की भी इस रोग को सँभालने में अहम भूमिका होती है।
Dementia (डिमेंशिया):-
देखभालकर्ता के लिए निर्देश
1.
communication (विचारों का आदान-प्रदान)
·
सरल व सीधी भाषा का प्रयोग
करें ज़रुरत पड़ने पर अपनी बात दोहराएं
·
आँख से आँख मिलाकर व
मुस्कुरा कर बात करें
·
ऐनक व सुनने की मशीन यदि
रोगी इस्तेमाल करता है तो इन्हें प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें
·
अधिक शोर व ध्यान भंग करने
वाली कारकों को दूर रखें
2.
याददाश्त बढाएं
·
बार-बार याददाश्त चेक ना
करें
·
बड़े अक्षरों वाला कैलेंडर
कमरे में रखें
·
सामान की सूची बनाकर कमरे में
रखें
·
दराजों, अलमारियों व दरवाजे
को चित्रों द्वारा या लिखित रूप में दर्शायें जैसे शौच के स्थान को चित्र या लिख
कर इंगित करें
·
महत्वपूर्ण फ़ोन नम्बर की
सूची रोगी को साथ रखने दें
·
घर में आने वाले व्यक्ति को
हमेशा नाम व रिश्ता बताकर मिलवाएं
3.
रोज़मर्रा की ज़रूरतों को व्यवस्थित करना
·
रोज़मर्रा में किये जाने
वाले काम को व्यवस्थित रखें परन्तु ज़रुरत पड़ने पर इसे बदलें भी
·
घर के सभी सदस्य मिलकर मदद
करें
·
वर्जिस करने के लिए
प्रोत्साहित करें
·
व्यक्तिगत गोपनीयता का
ख्याल रखें
4.
अन्य बातें
·
संभव हो तो पसंदीदा खाना एक
साथ बनाएं
·
सुबह घूमने साथ जायें
·
हाथ पकड़कर बात करें और गले
भी लगायें
·
मधुर संगीत सुनें
·
पुरानी फ़ोटो एल्बम एक साथ
देखें और भूले गए व्यक्तियों के बारे में विस्तार से बताएं
·
पुराने दोस्त के घर ले
जायें
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