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TRAUMATIC STRESS DISORDER in Hindi
सामान्यतः यह रोग प्रारंभ होता है जब कोई व्यक्ति देखता है, सुनता है या
संदर्भित होता है ऐसे किसी भयावह वाक्ये के बारे में जो कि हृदयविदारक हो। रोगी इस
अनुभव से डर और असहाय होने की प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। वह उस घटना की याद को
बार-बार अनुभव करता है जिससे उसे तीव्र घबराहट का अहसास होता है और कोशिश करता
रहता उस घटना को ना याद करने की। यह घटनाएं हो सकती हैं जैसे युद्ध, उत्पीड़न,
यातना, अत्याचार, प्राकृतिक आपदा, सड़क दुर्घटना, इत्यादि। यह घटनाएं स्वप्न में या
रोजमर्रा में रोगी के दिमाग में घूमती हैं रोगी इसकी याद को मिटाने की मानसिक
कोशिश करता है और वह शारीरिक सुन्नपन और अतिउत्तेजना महसूस करता है। साथ में वह
अवसाद, घबराहट और एकाग्रता में कमी को भी महसूस करता है और साथ-साथ रोगी में
अपराधबोध की भावना, चिडचिडापन, आक्रामकता तथा व्यसन (addiction) के लक्षण भी मिल
सकता हैं।
आमतौर पर इस तरह की घटनाएँ युद्ध
में होती हैं इसलिए पूर्व में इस रोग को soldier’s heart, shell shock, combat
neurosis, या operational fatigue के नामों से भी जान जाता था। इस रोग की
जीवनकालिक व्यापकता लगभग 8 प्रतिशत है।
रोग
का व्यवहार
PTSD रोग सामान्यतः किसी
दुर्घटना के बाद प्रारंभ होता है। घटना के बाद रोग प्रारंभ होने में 1 सप्ताह से
लेकर 30 वर्षों का विलम्ब देखा गया है। लक्षण समय के साथ कम-ज्यादा होते रहते हैं
और तनाव की स्तिथि में तीव्र हो सकते हैं। लक्षणों का तेज़ी से उभारना, रोग से पहले
अच्छी व्यवस्थित ज़िन्दगी, मजबूत पारिवारिक सहायता, अन्य मानसिक/शारीरिक रोग का ना
होना और व्यसन का ना होना रोग से जल्द उबरने के अच्छे संकेत होते हैं।
इलाज
PTSD के रोगियों को सहायता,
प्रोत्साहन, relaxation exercise के साथ-साथ दवाइयों द्वारा इलाज किया जाता है
जिसके काफी अच्छे परिणाम देखे गए हैं।
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